डिफॉल्टर सूची में शामिल हुए विश्वविद्यालयों को 31 जनवरी तक लोकपाल की नियुक्ति का आदान-प्रदान; छात्रों को समस्याओं के लिए सुलझाने का नया माध्यम
रायपुर। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी यूजीसी ने छत्तीसगढ़ के कई नामी-गिरामी विश्वविद्यालयों को डिफाल्टर की सूची में डाला है। राजधानी रायपुर के तीन विश्वविद्यालय समेत प्रदेश के कुल 11 सरकारी विश्वविद्यालय डिफाल्टर घोषित किए गए हैं। जानकारी के अनुसार, इन विश्वविद्यालयों ने यूजीसी की गाइडलाइन का पालन नहीं किया है, जिसके बाद इन सबको डिफाल्टर सूची में डाला गया है।
यूजीसी ने इस संबंध में इन यूनिवर्सिटीज को फाइनल रिमाइंडर जारी किया है। यूजीसी ने जारी निर्देश में कहा कि विश्वविद्यालय जल्द ही संस्थान में लोकपाल की नियुक्ति कराएं ताकि विद्यार्थियों से संबंधित प्रकरणों को आसानी से सुलझाया जा सके। जो विश्वविद्यालय डिफाल्टर सूची में शामिल हैं, उन्हें यूजीसी ने 31 जनवरी 2024 तक लोकपाल की नियुक्त करने के निर्देश दिए हैं।
छत्तीसगढ़ के ये विश्वविद्यालय डिफाल्टर सूची में शामिल
- संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय, सरगुजा
- अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय, बिलासपुर
- आयुष विश्वविद्यालय, रायपुर छत्तीसगढ़
- छत्तीसगढ़ कामधेनू विश्वविद्यालय, अंजोरा दुर्ग
- हेमचंद यादव विश्वविद्यालय, दुर्ग
- इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर
- इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय, खैरागढ़
- इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी, नया रायपुर
- महात्मा गांधी उद्यानिकी विश्वविद्यालय, पाटन
- शहीद नंदकुमार पटेल विश्वविद्यालय, रायगढ़
- कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय रायपुर
क्या होते है लोकपाल के कार्य
लोकपाल द्वारा विद्यार्थियों से जुड़े प्रकरणों का निपटान किया जाएगा. वित्तीय अनियमितताओं से लेकर सभी तरह के भ्रष्टाचार, मूल्यांकन कार्य में लापरवाही और इस तरह की सभी समस्याओं को लेकर छात्र लोकपाल के पास जा सकेंगे. विवि स्वायत्त एक संस्था है, जिसकी जांच की जिम्मेदारी लोकपाल पर होगी. इसके अलावा महाविद्यालयों में ग्रीवांस रिडर्सल कमेटी का गठन करने को कहा गया है. इस कमेटी में महाविद्यालय के सीनियर प्रोफेसरों की चार सदस्यीय टीम रहेगी. छात्रों को पहले ग्रीवांस कमेटी में शिकायत करनी होगी. छात्र यदि फैसले से संतुष्ट नहीं होते, तो मामला लोकपाल के पास भेजा जाएगा.
नई शिक्षा नीति में यूजीसी के भरोसे मानीटरिंग
यूजीसी की ओर से कृषि विवि, आयुष विवि सहित तकनीकी विवि को भी इस सूची में डाल दिया है, जबकि ये विवि अपने संबंधित विभागीय संस्थानों के अधीन आते हैं। इसी बीच नई शिक्षा नीति के अंतर्गत देशभर में सभी विवि को यूजीसी के अधीन करने की तैयारी है। इसके लिए यूजीसी की ओर से सभी विवि को व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए थे, लेकिन इसका पालन नहीं होने की वजह से ऐसी कार्रवाई की गई है।
रिसर्च के मामले में भी पिछड़े
सभी कालेजों में ग्रीवांस रिएड्रेसल कमेटी का भी गठन किया जाना है, जो नैक से एक्रीडेशन करवाने वाले कालेजों में ही किया गया है। इसके अलावा रिसर्च के मामले में भी अपने प्रदेश की स्थिति अच्छी नहीं है। विशेषज्ञों के अनुसार जितने भी शोध किए जा रहे हैं, वे आम जनमानस के लिए किसी प्रकार के उपयोगी नहीं सिद्ध हो रहे हैं।