प्राइवेट स्कूलों को सरकारी निर्देशों का पालन करने की जरूरत
दुर्ग। शिक्षा सत्र आरंभ होते ही प्रायवेट प्रायवेट स्कूलों के द्वारा किताबों और फीस के नाम पर पालकों को लुटना आरंभ कर दिया है। आदेश तो दिया गया था कि अशासकीय शालाओं को केवल संबंधित बोर्ड द्वारा संचालित पाठ्यक्रम एवं बोर्ड द्वारा प्रचालित पुस्तकें ही विद्यालयों में प्रयोग करना है, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। एनसीईआरटी वह प्रकाशन संगठन या प्रकाशक है, जो सीबीएसई विषयों के लिए किताबें प्रकाशित करता है। सीबीएसई संबद्ध स्कूल एनसीईआरटी पाठ्य-पुस्तकों का पालन करते हैं। वैसे ही एससीईआरटी वह प्रकाशन संगठन या प्रकाशक है जो सीजी बोर्ड विषयों के लिए किताबें प्रकाशित करता है। सीजी बोर्ड संबद्ध स्कूल एससीईआरटी पाठ्य-पुस्तकों का पालन करते हैं, वैसे ही आईसीएसई स्कूलों के लिए सीआईएससीई किताबें निर्धारित करती है, लेकिन ऐसा होता नहीं, क्योंकि अधिकांश प्रायवेट स्कूलों के द्वारा प्रायवेट प्रकाशकों की मंहगी-मंहगी किताबों से ही बच्चों को पढ़ाया जाता है, क्योंकि प्रायवेट प्रकाशकों की किताबों को पढ़ाने से स्कूलों को प्रायवेट प्रकाशकों की तरफ से मोटी कमिश्न मिलता है।
छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल पॉल का कहना है कि प्रायवेट स्कूलों के द्वारा खुलेआम पालकों को लुटा जा रहा है और सरकार मुकदर्शक बन तमाशा देख रही है। सरकार चाहे तो स्कूल पर लगाम लगा सकती है, सख्त आदेश निकाल सकती है, स्कूलों की मान्यता रद्द कर सकती है, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है, इसलिए प्रायवेट स्कूलों का मनोबल बढ़ते जा रहा है।
श्री पॉल ने बताया कि कक्षा पहली से आठवीं तक स्कूलों को सरकार के द्वारा पूरी रीति से नियंत्रण करना चाहिए, कक्षा पहली से आठवीं तक सभी स्कूलों में सिर्फ एससीईआरटी की प्रचालित पुस्तकें ही विद्यालयों में प्रयोग किया जाना चाहिए, ऐसी मांग एसोसियेशन ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर किया है।