पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इंडिया अलायंस में असहज महसूस कर रहे हैं और इसे एक नए पलटने का मौका मिल सकता है। कांग्रेस की हार और विपक्षी एकता में कमी के कारण नीतीश कुमार की नजरों में इंडिया अलायंस की अगुआई करने वाली कांग्रेस पार्टी अभी भी स्वाभाविक रूप से गंभीर नहीं दिख रही है।
कांग्रेस को चार राज्यों में हार का सामना करना पड़ा है और इसकी वजह से विपक्षी गठबंधन में शामिल दलों की भावनाओं को ध्यान में नहीं रखा गया है। समाजवादी पार्टी, जेडीयू, और आम आदमी पार्टी जैसी विपक्षी दलों को कांग्रेस ने अपनी अनदेखी के कारण अपने उम्मीदवार उतारने पड़े हैं। नतीजतन कांग्रेस का बंटाधार हो गया है और सहयोगी दलों का भी साथ नहीं मिला।
नीतीश कुमार को इस स्थिति से गुस्सा है, क्योंकि उन्हें विपक्षी एकता को आगे बढ़ाने में कांग्रेस की सहायकता की उम्मीद थी, लेकिन कांग्रेस ने उनकी उम्मीदों को पूरा नहीं किया। पिछले साल, नीतीश ने विपक्षी एकता के लिए सोनिया गांधी से मुलाकात की थी, लेकिन इसमें सफलता नहीं मिली। इसके बाद कांग्रेस ने विपक्षी दलों को एकजुट करने का कार्य नीतीश को सौंपा, जिससे उनकी नाराजगी बढ़ी है।
इसके बीच, तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी ने बिहार के कुर्मियों पर अपमानजनक टिप्पणी की है, जिससे नीतीश कुमार को और भी आपत्ति हुई है। इसे लेकर नीतीश को कुशवाहा वोटरों का साथ मिलने में संदेह है और यह उनके लिए और भी समस्या उत्पन्न कर सकता है। इस तरह, नीतीश कुमार के लिए कांग्रेस की सुस्ती और विपक्षी एकता में कमी का सामना करना मुश्किल हो सकता है।